राजनीति के शिखर पर पहुंचकर एक झटके से सब छोड़ देना कठिन होता है। आजाद भारत में इसके कम उदाहरण हैं। चार दशक पहले ऐसा दुस्साहस करके गांवों के समग्र विकास के कार्यशील मॉडल खड़े करने को निकल पड़े थे नानाजी देशमुख।
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» 'भारत के रत्न' नानाजी देशमुख... अजातशत्रु बन अपने काम में लगे रहे
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